पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय बठिंडा की विकास यात्रा-आचार्य राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी
आचार्य राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी/ कुलपति, पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा
पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय बठिंडा की स्थापना केन्द्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम 25 (2009) के द्वारा हुईI 28 फ़रवरी 2009 को संस्थापक कुलपति के रूप में प्रोफेसर जै रूप सिंह ने कार्यारम्भ कियाI विश्वविद्यालय का कार्य कुलपति आवास डी-13, सिविल स्टेशन से आरम्भ हुआI
तदुपरांत मानसा मार्ग पर अवस्थित 37 एकड़ भूमि में परित्यक्त बठिंडा सहकारी एकीकृत कॉटन गिनिंग एवं स्पिनिंग मिल अस्थायी परिसर से विश्वविद्यालय के पठन-पाठन एवं शोध का कार्य आरम्भ हुआI इस परिसर में कक्षाओं, प्रयोगशालाओं, पुस्तकालय, कंप्यूटर केंद्र, संगोष्ठी हाल, प्रदर्शनी हाल, कैंटीन, छात्रावास आदि सुविधाओं का प्रबंध किया गयाI आरंभिक दौर में विज्ञान संकाय के अंतर्गत जीवविज्ञान, पर्यावरण एवं पृथ्वी विज्ञान संकाय के अंतर्गत पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, भाषाएँ, साहित्य एवं संस्कृति संकाय के अंतर्गत तुलनात्मक साहित्य एवं वैश्विक सम्बन्ध संकाय के अंतर्गत दक्षिण एवं केन्द्रीय एशिया अध्ययन विषयों में 5-5 सीटों के साथ एम.फिल-पी.एच डी एकीकृत कार्यक्रम आरम्भ किये गएI तत्पश्चात स्नातकोत्तर कार्यक्रमों कि शुरुआत हुई एवं आज की स्थिति में 31 विभागों द्वारा 42 स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों एवं 35 विषयों पर शोध के कार्य संचालित हो रहे हैंI इनमें से एम.फार्म, एम.बी.ए (एग्रीबिज़नेस), फ़ूड टेकनोलोजी, साइबर सिक्यूरिटी, ह्यूमन जेनेटिक्स एवं मॉलिक्यूलर मेडिसिन, एम.कॉम (वितीय प्रबंधन), पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, कंप्यूटर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, माईक्रोबायोलॉजी के पाठ्यक्रम प्रमुख हैंI वर्ष 2009 में दस विद्यार्थियों से अकादमिक यात्रा प्रारम्भ करने वाले इस विश्वविद्यालय में आज कुल छात्र संख्या 1468, शिक्षक संख्या 138 एवं कर्मचारी संख्या 92 हैI विशेष बात यह है कि इस विश्वविद्यालय में 28 राज्यों से विद्यार्थी, 19 राज्यों से शिक्षक एवं 12 राज्यों से कर्मचारी कार्यरत हैं जो कि विश्वविद्यालय को ‘मिनी इंडिया’ का प्रारूप प्रदान करते हैंI विश्वविद्यालय के दो शिक्षकों ने 36वें अंटार्टिका भारतीय मिशन 2016-2017 में भाग लियाI
विश्वविद्यालय के पास अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित केन्द्रीय उपकरण प्रयोगशाला है जिसका उपयोग विश्वविद्यालय के शोधार्थियों एवं शिक्षकों के इतर अन्य विश्वविद्यालय के लोग भी करते हैंI अत्याधुनिक सुविधाओं से सम्पन्न केन्द्रीय पुस्तकालय विद्यार्थियों के लिए दिन में 18 घंटे खुला रहता है और इसके साथ ही विद्यार्थी किसी भी स्थान से ऑनलाइन माध्यम से पुस्तकालय का उपयोग कर सकते हैं I वर्ष 2009 में स्थापित सभी केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में से यह विश्वविद्यालय शोध पत्रों के प्रकाशन एवं शोध परियोजनाओं की दृष्टि से अग्रणी हैंI वर्ष 2015 में नैक द्वारा इसे ‘ए’ ग्रेड प्रदान किया गया एवं विगत दो वर्षों से निरंतर एनआईआरऍफ़ में यह विश्वविद्यालय देश के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों में अपना स्थान बनाने में सफल रहा हैI विश्वविद्यालय में मुख्यतः मानव मस्तिष्क में कैंसर (Brain Tumour) के फैलाव पर, मनुष्य के फेफड़ों में पराग कणों (Pollen grains) से होने वाले कैंसर पर, कीटनाशकों (Pesticides) जनित स्तन कैंसर (Breast cancer) पर, वनस्पतियों का उपयोग करते हुए Bioherbicide बनाने हेतु, जल प्रदूषण निस्तारण हेतु विविध प्रकार के नैनो मेटेरिअल को विकसित करने हेतु जिससे भारी धातुओं, रेडियोएक्टिव पदार्थों एवं अन्य प्रदूषकों का जल से निस्तारण हो सके एवं जल व मृदा में आर्सेनिक, कॉपर एवं निकल की जांच के लिए बायोसेंसर विकसित किए जाने, स्थानीय मृदा में पायी जाने वाली बेक्टीरिया की मदद से पोषक तत्वों को बढ़ाकर गेंहू की उत्पादकता में वृद्धि आदि समाजोपयोगी विषयों पर शोध हो रहा हैI इनके साथ-साथ अन्य समसामयिक विषयों पर भी विश्वविद्यालय में शोध हेतु प्रयास किए जाएंगेI
2017 के राष्ट्रीय युवा संसद प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय के छात्रों ने प्रथम स्थान प्राप्त कियाIविश्वविद्यालय के विद्यार्थी सूरज प्रकाश उपाध्याय द्वारा रचित कविता ‘अभी तो सूरज उगा है’ का प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में पाठन किया थाI विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त करने वाले कई विद्यार्थी विश्व के शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों में पीएच.डी एवं पोस्ट डॉक हेतु शोधरत हैंI छात्र गौरव जोशी को वर्ष 2018 सन फार्मा साइंस स्कॉलर पुरस्कार दिया गयाI छात्र जसकरण सिंह को कंप्यूटर सोसाइटी ऑफ़ इंडिया द्वारा वर्ष 2016 में आयोजित राष्ट्रीय स्तर की आई टी ओलम्पियाड में ‘आई टी जिनियस ऑफ़ इंडिया’ का पुरस्कार दिया गयाI विगत वर्ष में विश्वविद्यालय के 174 विद्यार्थियों ने यू.जी.सी.-नेट/जे.आर.ऍफ़ की परीक्षा उत्तीर्ण कीI
बठिंडा शहर से लगभग 22 किलोमीटर दूर ‘घुद्दा’ गाँव में करीब 500 एकड़ भूमि विश्वविद्यालय के स्थायी परिसर हेतु पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा वर्ष 2012 में उपलब्ध करवायी गयीI इस परिसर का शिलान्यास वर्ष 2015 में तत्कालीन केन्द्रीय शिक्षा मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी के कर कमलों द्वारा पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री सरदार प्रकाश सिंह बादल एवं तत्कालीन केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न हुआI इस परिसर में भारत सरकार के सार्वजानिक लोक उपक्रम इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड को स्थायी भवनों के निर्माण हेतु चयन किया गयाI अभी तक जिन भवनों का निर्माण कार्य सम्पूर्ण हुआ है उसमें छह तलीय आर्यभट अकादमिक खंड, शहीद भगत सिंह छात्रावास (लड़के), माता गुजरी कन्या छात्रावास, अन्नपूर्णा भोजनालय खंड, नेता जी सुभाष चन्द्र बोस अतिथि गृह, डॉ. राधा कृष्णन आवासीय परिसर (ए-टाइप), डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम आवासीय परिसर (ई-टाइप) , स्वामी दयानंद सरस्वती आवासीय परिसर (ऍफ़ टाइप), राय बहादुर सर गंगाराम जल संशोधन एवं आपूर्ति केंद्र, सर एम. विश्वेश्वरइया अपशिष्ट उपचार संयंत्र एवं विश्वविद्यालय स्मारक प्रमुख हैंI मानकों के अनुसार परिसर की मुख्य परियोजना को उर्जा दक्षता ब्यूरो द्वारा हरित मूल्यांकन में पांच सितारा श्रेणी प्राप्त हुई I इन भवनों का राष्ट्र के लिए लोकार्पण आभासीय पटल पर माननीय केन्द्रीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार श्री रमेश पोखरियाल जी ‘निशंक’ के कर कमलों द्वारा आज 12 अक्टूबर 2020 को अपराहन 03:00 बजे किया जाएगाI पंजाब प्रांत के लिए इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने के लिए बठिंडा की माननीय सांसद महोदया श्रीमती हरसिमरत कौर बादल अति विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगीI
विश्वविद्यालय को शतप्रतिशत आवासीय बनाने हेतु एवं परंपरागत पाठ्यक्रमों के साथ-साथ कार्यात्मक, व्यावसायिक एवं कौशल विकास पाठ्यक्रमों के गुणवत्तापूर्ण पठन-पाठन एवं समाजोन्मुखी एवं समीचीन विषयों पर शोध कराने हेतु आवश्यक सभी भौतिक एवं अकादमिक अवसंरचनाएं उपलब्ध कराने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन प्रतिबद्ध हैI विश्वविद्यालय के विशाल परिसर का उपयोग वृहद स्तर पर कामर्सिअल, फलदायक एवं औषधीय पौधों के वृक्षारोपण हेतु किया जाएगा जिससे विश्वविद्यालय के स्वयं के वित्तीय स्रोत सृजत होंगेI परिसर में जैव विविधता को सुनिश्चित करने हेतु प्रयास किया जाएगाI विश्वविद्यालय परिसर को ‘ग्रीन कैंपस’ मॉडल पर विकसित किया जाएगाI
इस विश्वविद्यालय ने विगत 11 वर्षों में अपने अथक प्रयासों से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान बनाया हैI इस हेतु विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपतियों, शिक्षकों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों को साधुवादI
स्थायी परिसर में उच्च कोटि की शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ स्थानीय एवं क्षेत्रीय समस्याओं के समाधान हेतु शोध कार्य करके ‘वोकल फॉर लोकल’ की अवधारणा को चरितार्थ करने हेतु विश्वविद्यालय परिवार पूर्णरूपेण कटिबद्ध हैI देश-विदेश के साथ ही पंजाब प्रांत के युवाओं का कौशल विकास करके उनको वैश्विक क्षमताओं से युक्त करना भी विश्वविद्यालय का उद्देश्य है जिससे कि वे राष्ट्र की सामाजिक-आर्थिक संरचना में सार्थक योगदान करके इसे आत्मनिर्भर बनाने में महती भूमिका निभाएंI साथ ही राष्ट्र की गौरवशाली संस्कृति एवं परंपरा के संपोषक एवं संवाहक बनेI ऐसा तभी संभव है जब हम भारत एवं अधिगम केन्द्रित राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के सभी आयामों को उनकी मूल भावना के साथ इस विश्वविद्यालय में कार्यान्वित करेंगेI इस पावन अवसर पर सम्पूर्ण विश्वविद्यालय परिवार इन उद्देश्यों की पूर्ति हेतु अपनी संकल्पबद्धता को प्रकट करता हैI राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के माध्यम से शिक्षा के समयानुकूल सार्वभौमीकरण एवं लोकतांत्रीकरण हेतु किए गए अथक एवं सतत प्रयासों के लिए भारत सरकार के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी एवं केन्द्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी ‘निशंक’ को कोटिशः साधुवाद I
अक्टूबर 11,2020