हरियाणा सरकार बाबा बंदा सिंह बहादुर लोहगढ़ स्मारक के विकास के लिये प्रतिबद्ध:-प्रभलीन सिंह, ओएसडी मुख्यमंत्री
यमुनानगर, 25 जून,2025-
बाबा बंदा सिंह बहादुर लोहगढ़ फाउंडेशन ट्रस्ट द्वारा आज गुरू नानक खालसा कॉलेज यमुनानगर में बाबा बंदा सिंह बहादुर के 309 वें शहीदी दिवस के उपलक्ष में उनके जीवन और विरासत पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में पूर्व मंत्री कंवर पाल गुर्जर सहित बाबा बंदा सिंह बहादुर लोहगढ़ फाउंडेशन ट्रस्ट के संस्थापक सदस्यों, इतिहासकारों व अन्य वक्ताओं ने बाबा बंदा सिंह बहादुर के जीवनी व विरासत तथा इतिहास के बारे में विस्तार से बताया।
पूर्व मंत्री एवं बाबा बंदा सिंह बहादुर निगरानी समिति के चेयरमैन कंवर पाल गुर्जर ने सेमिनार में उपस्थित प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्तमान केन्द्रीय मंत्री तथा हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के विशेष प्रयासों से बाबा बंदा सिंह बहादुर लोहगढ़ फाउंडेशन ट्रस्ट की स्थापना की गई तथा इतिहास में विशेष महत्व रखने वाले लोहगढ़ स्मारक के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कहा कि गुरुओं और महापुरुषों की यादगार, संघर्ष और आदर्शों को युवाओं के बीच लाना चाहिए ताकि उन्हें अपने असली इतिहास के बारे में जानकारी मिल सके कि किस प्रकार गुरूओं व महापुरूषों ने देश, धर्म और न्याय की लड़ाई लड़ी। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा गुरुओं व महापुरुषों की जीवनियों को स्कूलों की किताबों में जगह दी जा रही है।
मुख्यमंत्री के ओ.एस.डी. प्रभलीन सिंह ने कहा कि हरियाणा सरकार बाबा बंदा सिंह बहादुर लोहगढ़ फाउंडेशन ट्रस्ट के माध्यम से लोहगढ़ स्मारक के विकास के लिये प्रतिबद्घ है ताकि हमारी युवा पीढ़ी व आने वाली पीढिय़ां लोहगढ़ के इतिहास व बाबा बंदा सिंह बहादुर के जीवन, उनके संघर्ष व शहादत के बारे में जान सकें। उन्होंने बाबा बंदा सिंह के बहादुर के बारे में गुरू रविन्द्र नाथ टैगोर द्वारा लिखी गई कविता के माध्यम से उनकी शहादत को याद किया तथा उनकी बहादुरी व संघर्ष को नमन किया।
मुख्य वक्ता एवं इतिहासकार डॉ.सुखदयाल सिंह ने बताया कि हरियाणा में बाबा बंदा सिंह बहादुर से सम्बन्धित काफी स्थान है। उन्होंने बताया कि बाबा बंदा सिंह बहादुर सिख सेनानायक थे और पहले ऐसे सिख हुए जिन्होंने मुगलों को पराजित कर उनके अजेय होने के भ्रम को तोड़ा। उन्होंने बताया कि गुरु गोबिन्द सिंह जी के आदेश पर बाबा बन्दा सिंह बहादुर पंजाब गए और सिक्खों के सहयोग से सढ़ौरा, सरहिन्द, राहों सहित अन्य स्थानों पर जीत हासिल करते हुए सतलुज नदी के दक्षिण में सिक्ख राज्य की स्थापना की। उन्होंने खालसा के नाम से शासन भी किया और गुरुओं के नाम के सिक्के भी चलवाये।
बाबा बन्दा सिंह बहादुर ने जमींदारी प्रथा का अंत किया और किसानों को जमीने आबंटित कर जागीरदारों और जमींदारों की दासता से मुक्ति दिलाई।
बाबा बंदा सिंह बहादुर लोहगढ़ फाउंडेशन ट्रस्ट के संस्थापक सदस्य एस.एस. पाहवा ने अपने सम्बोधन में बताया कि बाबा बंदा सिंह बहादुर ने सिख राज की पहली राजधानी लोहगढ़ को बनाया था। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय मंत्री मनोहर लाल ने लोहगढ़ को दुनिया के नक्शे पर लाने के विशेष प्रयास किये हैं तथा इसके विकास को प्राथकिता दी। उन्होंने बताया कि बाबा बन्दा सिंह बहादुर का जन्म चनाब नदी के किनारे वर्ष 1670 को हुआ था। उनका बचपन का नाम लक्ष्मण देव था। पन्द्रह वर्ष की आयु में उन्होंने एक गर्भवती हिरणी का शिकार किया जिसका उनके मन पर गहरा प्रभाव पड़ा और वह अपना घर-बार छोडक़र बैरागी बन गये और उनका नाम माधोदास बैरागी पड़ा। वह कुछ समय तक पंचवटी (नासिक) में रहे। वहाँ से योग की शिक्षा प्राप्त कर वह नान्देड क्षेत्र चले गए और गोदावरी के तट पर उन्होंने एक आश्रम की स्थापना की। नांदेड में सिक्खों के दसवें गुरु गुरु गोबिन्द सिंह ने इसी आश्रम में उन्हें सिक्ख बनाकर उनका नाम बन्दा सिंह बहादुर रख दिया।
सेमिनार में अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे तथा बाबा बंदा सिंह बहादुर के जीवन और विरासत के बारे में विस्तार से जानकारी दी। सेमिनार में सीईओ जिला परिषद वीरेन्द्र सिंह ढुल्ल, डीआईपीआरओ डॉ. मनोज कुमार, डॉ. सुखदयाल सिंह, एस.एस. पाहवा, कॉलेज प्रबंधन समिति के प्रधान रणदीप सिंह जोहर, उपप्रधान आर.एस. भट्टी, फाइनेंस सचिव अमरदीप सिंह, सदस्य डॉ. बी.एस. गाबा, कॉलेज प्रिंसिपल डॉ.प्रतिमा शर्मा, डॉ. कैथरीन मसीह, सहायक प्रो0 डॉ. अनुराग, डॉ. किरण पाल सिंह विर्क, डॉ. तिलक राज, मनीषा सहित अन्य गणमान्य लोग व कॉलेज स्टाफ मौजूद था।
